खूबसूरत ज़िंदगी
भुवन
यूँ ही निराशा भरे मन से कदम बढाते हुए चला जा रहा था। उसका मन बहुत ही विचलित था।
अचानक से उसे ठोकर लगी और वह रुक गया। उसके तन-मन में एक बिजली- सी कौँध गई वह एक
पाँच सितारा होटेल के सामने खडा था ।
रंगीन
चमकते बल्बों के साथ होटेल का नाम लिखा था। विशाल चमकता पारदर्शी काँच के दरवाज़े
पर स्वयं चालित दरवाज़े का बटन लगा हुआ था । भुवन अपने आप को रोक नहीं पाया ।
सीढीयाँ चलकर ज्यों ही दरवाज़े के पास आया, दरवाज़ा अपने आप खुल गया ।
भुवन
अंदर आ गया । अंदर आते ही एक शीत लहर उसके नथुनों को छू गई। तापमान बहुत ही सर्द
था। ठंडे पानी की बौछार शरीर को भिगो रही थी । धुँधली रोशनियाँ अंधेरे से जूझ रही थी।
पैरों को मखमली हरी दूब जैसे कालीन का एहसास हो रहा था। दुग्ध सफेद-सा सारा
फर्नीचर लगा हुआ था । कमरे के बीचों-बीच एक फव्वारा लगा हुआ था। यूँ लगा रहा था
जैसे की फव्वारे के पानी में चाँदनी घुल गई हो। सुंदर गुलाबों की क्यारियाँ झरने
को घेरे हुए थी। वहाँ का कण-कण इस मन मोहक वातावरण और चाँदी की खनक में डूबा हुआ था।
ठंडक खुशबू और फव्वारे में घुली चाँदनी ने
भुवन को मोह लिया ।
भुवन
एक टेबल के पास आकर बैठ गया। गले में बंधी टाई को ढीला किया। बैरे ने शीशे की
चमकदार गिलास मे ज़ाम लाकर रखा तो लगा कि उसका मन भी ढीला हो गया ।
अचानक
रंग-बिरंगी रोशनियाँ फैल गई। मोरनी-सी नाचती गाती एक युवती आई। नशे का सुरूर और बढ
गया। भुवन भी नशे में बह गया उसके मन ने चाहा कि अपने ज़ाम में मिलाकर उस युवती को
ही पी जाए ।
वहाँ
मौज़ूद हर कोई आँखों ही आँखों में उस युवती की तस्वीर को कैद करने की फ़िराक़ में था। सभी को उसका नृत्य और पहनावा आकर्षित
कर रहा था। आसमां से उतरी परी की तरह उसका रूप- लावण्य था । सभी स्तब्ध- से उसे देख
रहे थे।
भुवन
का भी मन उसे पाने के लिए ललचाने लगा। एक रात उसके सामीप्य के लिए तडप उठा । उसका
मन अपनी पत्नी से दूर भाग उठा।
नृत्य
की समाप्ति पर वह कपडे बदल कर आई तो भुवन ने अपनी इच्छा प्रकट की और अधिक पैसे
देने का भी आश्वासन दिया ।
युवती
ने कोई आश्चर्य प्रकट नहीं किया। वह उसके पास आकर बैठ गई भुवन पूरी तरह उसके आकर्षण
में घिरा था । तभी उस युवती ने मुस्कुराते
हुए अपने बटुए से कुछ कागज़ात निकाले और भुवन को दिए। उन कागज़ातों को पढकर भुवन का
मुँह खुला का खुला रह गया और वह आश्चर्य चकित होकर एक झटके में खडा हो गया। उसमें
लिखा था – नाम - कुमारी मधुमिता , उम्र- 20 वर्ष, लिंग – स्त्री , और साथ में अस्पताल की रिपोर्ट लगी थी जिसमें लाल स्याही
से एच- आई- वी- पॉज़िटिव छपा हुआ था ।
उस
युवती ने कहा – यह रिपोर्ट मेरी ही है। मेरे अंदर यह रोग पनपने लगा है। इस ग़म को
भूलने के लिए मैं नाचती-गाती हूँ ऐसा मत सोचना । हम कुछ ऐड्स पीडित लडकियाँ
एकत्रित होकर एक संस्था चलाते हैं । हमारा ख्याल तुम जैसे हर एक जवान आदमी को ऐड्स
से बचाना है। हमारे उत्तेजित नृत्य को
देखने तुम जैसे अनेक जवाँ आते हैं और हमें पाने की चाह करते हैं तब हम उन्हें
" हमें मत देखो हमारे रोग को देखो" कहकर उन्हें इस रोग से दूर रखने का
प्रयास करते हैं । क्योंकि ऐड्स से पीडित हम मौत की ओर तेजी से भाग रहे हैं दूसरे
मौत की ओर कदम बढा रहे हैं और हम उन्हें
बचाना चाहते हैं। इस तरह मरने से पहले कम से कम एक अच्छा काम करना ही हमारा
उद्देश्य है। मन है फिसलेगा जरूर पर जब भी मन फिसले तो आईने के सामने खडे होकर एक
ऐड्स पीडित आदमी की कल्पना करके देखना तब मन नहीं फिसलेगा और तुम में जीने की ताकत
आ जाएगी। यह ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है इसे यूँ गवाँना मत। कम से कम आने वाला युवा
भारत तो ऐड्स के भय से मुक्त रहे यही हमारा लक्ष्य है
अब तुम ही बताओ कितने पैसे देकर तुम मौत खरीदना चाहते हो । उसकी आँखों में
आँसू भर आए थे फिर भी वह मुस्कुराते हुए चलने लगी कि सामने एक और युवक उसके इंतज़ार
में था ।
भुवन
का नशा छू हो गया और वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए व्याकुल हो घर की ओर चल पडा ।
शुभम्
स्वर्ण ज्योति
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