यह कहानी
नहीं है
बहुत पुरानी बात है, या एक राजा
था एक रानी थी जैसे वाक्यों से कहानी का आरंभ होते तो पढा था पर "यह कहानी नहीं है" ऐसा वाक्य वह
भी एक कहानी का शीर्षक बडा अज़ीब –सा लगा। परंतु यही सच भी था क्योंकि जब कहानी लिखने बैठी तो सारे वाक्य गडमडा गए । कुछ अतीत की स्मृतियाँ ताजा हो गईं तो कुछ वर्तमान की परिश्तियाँ कहानी
के बजाए कविता की पंक्तियाँ लिख बैठी
यादों का पुलिंदा खोल कर बैठा है मन
आज न जाने कहाँ कहाँ उडा जा रहा है मन
यूँही मन उडते-उडते बचपन की
देहरी पर जा पहुँचा जहाँ गुडिया की शादी हो रही थी। शादी जैसे सार्थक शब्द का अर्थ
तो उस नादान बालिका को नहीं पता था जो गुडिया की शादी रचा रही थी। उसके लिए तो नए
कपडे, नए जूते, नए गहने और
ढेर सारी मिठाईयाँ ही शादी का अर्थ था। क्या यथार्थ में शादी का यही अर्थ होता है? या सामाजिक और शारीरिक आवश्यकताओं के लिए किया गया एक समझौता या कुछ और भी ....
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