·
शतरंज की
बाज़ी *
आसमां और धरती के बीच
शतरंज की बिसात बिछा कर
आ खेले दो –चार बाजी
तेरी शह या मेरी मात
जो भी हो मैं हूँ राज़ी
सूरज को ढक कर तूने
मुझको भरमा दिया
दीपक की चाल चल कर
मैंने खुद को बचा लिया
समय की चाल चल कर
मुझको तूने बाँध दिया
समय को लम्हों में बाँट
मैंने जीना सीख लिया
मौत की शह देकर
तूने मुझको घेर लिया
बदन को तेरे हवाले कर
मैंने रूह को बचा लिया
तेरी शह या मेरी मात
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