पानी
पानी रे पानी
तेरा नहीं कोई सानी
तेरा नहीं कोई रंग
पर निराले तेरे ढंग
तू जीवन की रस धार
तुझमें बसे सारा संसार
कभी बूँदें तो कभी बौछारें
कभी बरखा तो कभी बाढें
तेरे कितने ही नाम
पूजे हम तेरे धाम
कहीं तू माता तो कहीं सुता
कहीं तू पुत्र तो कहीं मित्र
तेरा विचित्र रूप सुनामी
बना गया जीवन को बेमानी
तेरी लीला अपरम्पार
तू लगाए भव सागर पार
पानी रे पानी
तेरा नहीं कोई सानी
पानी रे पानी
तेरा नहीं कोई सानी
तेरा नहीं कोई रंग
पर निराले तेरे ढंग
तू जीवन की रस धार
तुझमें बसे सारा संसार
कभी बूँदें तो कभी बौछारें
कभी बरखा तो कभी बाढें
तेरे कितने ही नाम
पूजे हम तेरे धाम
कहीं तू माता तो कहीं सुता
कहीं तू पुत्र तो कहीं मित्र
तेरा विचित्र रूप सुनामी
बना गया जीवन को बेमानी
तेरी लीला अपरम्पार
तू लगाए भव सागर पार
पानी रे पानी
तेरा नहीं कोई सानी
यह कविता पाँडीचेरी में सुनामी से हुई
तबाही पर लिखी गई थी।
7 comments:
अच्छा लिखा है ।
घुघूती बासूती
सुनामी की विभीषिका--कैसे कोई भूल सकता है!!
उसी त्रासदी पर हमने भी उस वक्त लिखा था अपना मनोभाव, देखें हिन्दी नेस्ट पर:
http://www.hindinest.com/kavita/2003/082.htm
सच्मुच पानी के कई रूप हैं.. इसका कोई सानी नही.. अच्छी कविता..
आप ने बहुत सुन्दर भाव की कविता रची है, सत्य है कि
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
जिस में मिला दो लगे उस जैसा
कम शब्दों में सुना्मी के दर्द को अच्छा बयां किया आपने।
दो बूँद कभी वो आसूं हैं....
दो बूँद कभी वो समंदर के ....
दो बूँद से डोले जग सारा...
दो बूँद नए कई मंज़र के ....
बहूत खूब लिखा आपने....मेरी कलम भी नही रुक पाई.....इसे ही लिखती रहिये....मेरी शुभ कामनाये आपके साथ हैं....ऑरकुट पर एक कम्युनिटी बनाई है मैंने.....उन सभी के लिए जिनके विचार अलग हैं....जो अलग तरह से अपनी बात दुनिया के सामने रखते हैं....जो अपने विचारों से लोगों को आगे बढ़ाना चाहते हैं....उनकी प्रेरणा बनना चाहते हैं.....मैं चाहता हूँ आप भी वहां कुछ लिखें उसको ज्वाइन करें.....उसका नाम है "पाठशला" और उसका लिंक है ---- http://www.orkut.co.in/Main#Community.aspx?cmm=50135104
सभी मित्रों को नमस्कार🙏 बहुत दिनों यूँ कहिए बहुत सालो बाद आप सब से पुनः मुखातिब हो रही हूं। एक बार फिर से आप सब का सहयोग चाहती हूं। मुझे पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए । आप सभक धन्यवाद ।🌹😊🙏
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