कविताएँ लिखना मुझे नहीं आता है क्योंकि मैंने कभी भी लिखने के लिए नहीं लिखा बस कभी कोई ख्याल मन में आया, कभी कोई दर्द दिल को तडपा गया, कभी कोई खुशी तन को महका गई तो कभी कोई सपना देख लिया, सारे ख्याल, सारे दर्द , सारी खुशियाँ और सारे सपनों को कलम के जरिए कागज़ को कह दिया अब कहने से ही तो दिल ह ल्का होता है न ।
हम सभी बहुत सारे सपने देखते हैं कभी -कभी दिन में जागती आँखों से भी सपने देखते हैंं
मैंने भी कुछ सपने देखे हैंं आप को मेरे सपनों के विषय में बताती हूँ देखिए हँसिएगा नहीं
कैसा होगा
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
तरन्नुमों* से खामोशी* तक,
इस राह से उस मँजिल तक,
बस फ़ूल ही फ़ूल हो तो कैसा होगा....?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
सूरज की रोशनी से चँदा की चाँदनी तक ,
एक ऊषा से एक निशा तक ,
इतना फ़ासला ही न हो तो कैसा होगा...?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
आसमां और धरती का मिलन ,
क्षितिज की इस कल्पना का,
सत्य में साकार हो तो कैसा होगा....?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
सपने तो सपने हैं सपनों की हक़ीक़त क्या?
पर सपने भी सच्चे हो तो कैसा होगा......?
*जन्म
*मृत्यु
हम सभी बहुत सारे सपने देखते हैं कभी -कभी दिन में जागती आँखों से भी सपने देखते हैंं
मैंने भी कुछ सपने देखे हैंं आप को मेरे सपनों के विषय में बताती हूँ देखिए हँसिएगा नहीं
कैसा होगा
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
तरन्नुमों* से खामोशी* तक,
इस राह से उस मँजिल तक,
बस फ़ूल ही फ़ूल हो तो कैसा होगा....?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
सूरज की रोशनी से चँदा की चाँदनी तक ,
एक ऊषा से एक निशा तक ,
इतना फ़ासला ही न हो तो कैसा होगा...?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
आसमां और धरती का मिलन ,
क्षितिज की इस कल्पना का,
सत्य में साकार हो तो कैसा होगा....?
कभी-कभी इस दिल ने ऐसा भी सोचा है,
सपने तो सपने हैं सपनों की हक़ीक़त क्या?
पर सपने भी सच्चे हो तो कैसा होगा......?
*जन्म
*मृत्यु
1 comment:
Atisundar.sapne Hain Tau jeevan hai
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