Thursday, February 15, 2007

शिवरात्री के उपल्क्ष्य पर

जोगी

जोगी है आया तेरे द्वारे
जटाजूट भस्म विभूत हैं धारे

प्रिय दरसन की आस है पर
भवति भिक्षांह देहि पुकारे

नील अंग है मृग छाला वसन
भूत पिशाच का देव करे भजन

वृषभ पर सवारी है करे
ताज बना शीश पर भागीरथी धरे

कांधे सर्प गले मुण्डन माला
शशि रख कर दिखता है आला

भक्ति प्रेम का है मतवाला
पी जाए विष भी समझ हाला

भ्रमित होकर तकते दृग नयन
गोरी का मन कहे यही मेरा सजन

11 comments:

Monika (Manya) said...

बहुत अच्छा लगा सदाशिव का ये स्वरूप चित्रण.. धन्य्वाद

Divine India said...

अरे आपने तो पार्वती के प्रेम की तरह मतवाला कर दिया होगा हमारे भोले बाबा को…इसके उपरांत तो भगवन का तांड्व होना चाहिए:-
"जटा अटवी गलज जल प्रवाह पावित स्थले,
गले अवलम्बय लम्बिताम भुजंग तुंग मालिकाम्।
डम डड्म डड्म डड्मनि निनादव डड्म:वयम,
चकार चण्ड ताण्डवम तनोतु न: शिव:शिवम्।"
धन्यवाद!!!

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छा लिख रहीं हैं, बधाई स्विकारें.

Reetesh Gupta said...

सुंदर रचना ...बधाई

Anonymous said...

बहुत सुन्दर.

Sagar Chand Nahar said...

शिव के स्वरूप का यह चित्रण बहुत सुन्दर लगा, शिवरात्रि का प्रसाद कहाँ है?
॥दस्तक॥

Anonymous said...

शिवरात्री के अवसर पर प्रेम में मतवाले शिव के इस अनूठे रूप की अभिव्यक्ति बहुत भाई .

Swarna Jyothi said...

मन्या जी आप का धन्यवाद कविता में शिव स्वरूप के चित्रण आप को आकर्षित किया आप अपना सहयोग बनाए रखे आप से यही आशा है

दिव्याभ आप तो स्वयं तांडव कर उठे
बहुत बहुत धन्यवाद आप की प्रतिक्रिया के लिए जवाब देना मेरे लिए मुमकिन नहीं है आप की प्रतिक्रिया स्वयं एक कविता है आप बधाई स्वाकारे

Swarna Jyothi said...

उडन तश्तरी समीर जी आप की प्रतिक्रियाएँ अनेक अन्य चिट्ठों में मैंने पढी है और हर बार यह महसूस होता कि आप मेरे लिए भी प्रतिक्रिया लिखें तो जैसे ही आप की प्रतिक्रिया देखी मुझे खुशी हुई आप का धन्यवाद आप यूँही सहयोग बनाए रखिएगा

प्रियंकर जी आप को कविता बहुत भाई जानकर प्रसन्नता हुई धन्यवाद

शैलेश भारतवासी said...

आपकी यह कविता पढ़कर मुझे शिव की आरती याद आ गयी।
सही में लयबद्धता इतनी बढ़िया है कि यह सुंदर गीत बन पड़ा है। इसे किसी भक्ति-गीत का अलबम बनाने वाले को दीजिए, ज़रूर अलबम बनायेगा।

Swarna Jyothi said...

शैलेजी आप का धन्यवाद आप को गीत की लयता लगी कविता में आप से ही गुजारिश है कि आप ही किसी गायक को ढूँढ दें या फिर आप स्वयं गा दे आप का स्वागत है