जोगी
जोगी है आया तेरे द्वारे
जटाजूट भस्म विभूत हैं धारे
प्रिय दरसन की आस है पर
भवति भिक्षांह देहि पुकारे
नील अंग है मृग छाला वसन
भूत पिशाच का देव करे भजन
वृषभ पर सवारी है करे
ताज बना शीश पर भागीरथी धरे
कांधे सर्प गले मुण्डन माला
शशि रख कर दिखता है आला
भक्ति प्रेम का है मतवाला
पी जाए विष भी समझ हाला
भ्रमित होकर तकते दृग नयन
गोरी का मन कहे यही मेरा सजन
जोगी है आया तेरे द्वारे
जटाजूट भस्म विभूत हैं धारे
प्रिय दरसन की आस है पर
भवति भिक्षांह देहि पुकारे
नील अंग है मृग छाला वसन
भूत पिशाच का देव करे भजन
वृषभ पर सवारी है करे
ताज बना शीश पर भागीरथी धरे
कांधे सर्प गले मुण्डन माला
शशि रख कर दिखता है आला
भक्ति प्रेम का है मतवाला
पी जाए विष भी समझ हाला
भ्रमित होकर तकते दृग नयन
गोरी का मन कहे यही मेरा सजन
11 comments:
बहुत अच्छा लगा सदाशिव का ये स्वरूप चित्रण.. धन्य्वाद
अरे आपने तो पार्वती के प्रेम की तरह मतवाला कर दिया होगा हमारे भोले बाबा को…इसके उपरांत तो भगवन का तांड्व होना चाहिए:-
"जटा अटवी गलज जल प्रवाह पावित स्थले,
गले अवलम्बय लम्बिताम भुजंग तुंग मालिकाम्।
डम डड्म डड्म डड्मनि निनादव डड्म:वयम,
चकार चण्ड ताण्डवम तनोतु न: शिव:शिवम्।"
धन्यवाद!!!
बहुत अच्छा लिख रहीं हैं, बधाई स्विकारें.
सुंदर रचना ...बधाई
बहुत सुन्दर.
शिव के स्वरूप का यह चित्रण बहुत सुन्दर लगा, शिवरात्रि का प्रसाद कहाँ है?
॥दस्तक॥
शिवरात्री के अवसर पर प्रेम में मतवाले शिव के इस अनूठे रूप की अभिव्यक्ति बहुत भाई .
मन्या जी आप का धन्यवाद कविता में शिव स्वरूप के चित्रण आप को आकर्षित किया आप अपना सहयोग बनाए रखे आप से यही आशा है
दिव्याभ आप तो स्वयं तांडव कर उठे
बहुत बहुत धन्यवाद आप की प्रतिक्रिया के लिए जवाब देना मेरे लिए मुमकिन नहीं है आप की प्रतिक्रिया स्वयं एक कविता है आप बधाई स्वाकारे
उडन तश्तरी समीर जी आप की प्रतिक्रियाएँ अनेक अन्य चिट्ठों में मैंने पढी है और हर बार यह महसूस होता कि आप मेरे लिए भी प्रतिक्रिया लिखें तो जैसे ही आप की प्रतिक्रिया देखी मुझे खुशी हुई आप का धन्यवाद आप यूँही सहयोग बनाए रखिएगा
प्रियंकर जी आप को कविता बहुत भाई जानकर प्रसन्नता हुई धन्यवाद
आपकी यह कविता पढ़कर मुझे शिव की आरती याद आ गयी।
सही में लयबद्धता इतनी बढ़िया है कि यह सुंदर गीत बन पड़ा है। इसे किसी भक्ति-गीत का अलबम बनाने वाले को दीजिए, ज़रूर अलबम बनायेगा।
शैलेजी आप का धन्यवाद आप को गीत की लयता लगी कविता में आप से ही गुजारिश है कि आप ही किसी गायक को ढूँढ दें या फिर आप स्वयं गा दे आप का स्वागत है
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